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यूपी चुनाव 022:जाति नहीं,विकास की इबारत पड़ि है,बोले वोटर

जिला ब्यूरो चीफ गोंडा विनोद कुमार सिंह अवध की आवाज दैनिक पेपर,,

गोंडा। गांव की गलियों,खेत की पगडंडियों,घरों व दुकानों के बाहर बैठे कुर्सियों पर चर्चा सिर्फ चुनाव की है। दुकानों और चौराहों पर चाय की चुस्कियों के साथ सियासी समीकरणों और भावी सरकार के गठन पर मंथन चल रहा है। एक ओर जहां पसंदीदा पार्टियों और प्रत्याशियों की अच्छाइयों के कसीदे गढ़े जा रहे हैं तो विपक्षियों की नाकामियों व वादों को जुमलेबाजी बताया जा रहा है। मनकापुर सुरक्षित विधानसभा के न्यौरार चौराहे पर कादरी शिफा दुकान के बाहर लगी ऐसी ही एक चुनावी चौपाल का हिस्सा हम भी बने। मौलाना जाहिद अली नूरी की कादरी शिफा खाना की दुकान के बाहर आठ से दस लोगों का जमावड़ा लगा हुआ है। पूर्व प्रधान मोहम्मद हद्दीश कहते हैं कि इस बार जाति नहीं बल्कि विकास की इबारत पर वोट करेंगे। जो विकास की बात करेगा वही दिलों पर राज करेगा। उनकी बात काटते हुए 50 वर्षीय अब्दुल रज्जाक बोले, गांव-गांव किसान अन्ना जानवरन से परेशान हैं। रात-रात भर लोग जाग के फसलन केरि देखरेख कर रहे हैं। हम परेशान तो हन लेकिन वोट हम विकास के मुद्दे पर ही करिबे, क्योंकि कउनो न कउनो समस्या तो बनी ही रही, लेकिन यदि विकास का दरकिनार कर हम अपने लाभ के लिए गलत प्रत्याशी का वोट दे आएन तो वो बहुतै गलत होई। उनकी बात पूरी होती इससे पहले ही लतीफ बोल उठे, दादा बिजली का भूलि गेव का। पांच साल पहले बत्ती कब आवति रहै और कब जाति रहै पतै न चलत रहै। चौबीस घंटा मां महज तीन-चार घंटा बिजली मिलति रहै। अब तो पंद्रह घंटा से अधिक बिजली आए रही है। अधिकतर किसान दिन म ही सिंचाई करत हैं और रात में अपने घरन मां चैन से सोवत हैं।
बिजली की बात आते ही लतीफ को हाजी अब्दुल मजीद को टोकते हुए बोले, बिजली का तो बड़े मजे से बता रहे हौ लेकिन जरा बिजली के बिलौ का बता डारौ। घरेलू बिजली और ट्यूबवेल का बिल इ पांच सालन मां कई गुना बढ़ि गा है। महंगाई का तो पूछिबै न करौ। गरीब आदमी के घरन म चूल्हा ठंडे परि गै भैया। पहले सब्सिडी वाला सिलेंडर मिलत रहै अब तो ओहू म पूरे पैसा दें क परत हैं। इसी बीच शकील तपाक से बोल पड़े, चच्चा दुई साल से सबका मुफ्त राशन और सब किसान का पेंशन मिल रही, ओहिक्या का? मुफ्त वाली चीज भूले जा रहे हौ केवल महंगी बिजली व मंहगाई का माला जप रहे हौ। पीछे खड़े हाफिज अशफाक बोल पड़े नए रोजगार के अवसर दें कि बजाय खतम कीन जा रहे हैं। निजी हाथन म सरकारी व्यवस्था सौंपी जा रही है। रोजगार न मिलै से युवा हताश और निराश है। ऐसे म कैसे युवा अपने पैरन पर खड़ा होइ। इसी बीच वहीं बैठे इस्लाम कहने लगे हम तो वोट उनहिन का करिबे जो अपने वादे म खरे उतरे हैं। किसान का कर्ज माफ भा और गुंडागर्दी म लगाम लगी है। मोहम्मद इदरीस ने हां में हां मिलाते हुए अपनी बात रखते हुए कहा, हां अब महिलाएं कहीं भी आने-जाने में डरती नहीं हैं। महिला अपराध मे कमी आई है।

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