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केजरीवाल को जमानत मिलना संविधान की जीत, अरविंद केजरीवाल की जमानत पर बोले अखिलेश यादव

लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को आबकारी नीति मामले में उच्चतम न्यायालय से जमानत मिलने को संविधान की जीत बताया है। यादव ने एक्स पर लिखा, दिल्ली के लोकप्रिय व जन कल्याणकारी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत ‘संविधान की जीत है। उन्होंने कहा कि संविधान विरोधी ही संविधान का दुरुपयोग करते हैं और न्याय के दरवाजे पर दी गयी दस्तक हमेशा सुनी जाती है। दुनिया अब तक इसी परंपरा पर आगे बढ़ी है और भविष्य में भी बढ़ती रहेगी। बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने आबकारी नीति घोटाले के संबंध में सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के मामले में शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी और कहा कि लंबे समय तक जेल में रखना स्वतंत्रता से अन्यायपूर्ण तरीके से वंचित करने के समान है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति उज्जवल भुइयां की पीठ ने केजरीवाल को 10 लाख रुपये के मुचलके और दो जमानत राशियों पर जमानत दी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 21 मार्च को आबकारी नीति मामले में केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। उन्हें लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए 10 मई को अंतरिम जमानत दी गई थी और दो जून को आत्मसमर्पण करने के बाद से वह जेल में हैं। शीर्ष अदालत ने केजरीवाल को मामले के बारे में कोई सार्वजनिक टिप्पणी नहीं करने का निर्देश दिया और कहा कि ईडी मामले में लागू नियम व शर्तें इस मामले में भी लागू रहेंगी। शीर्ष अदालत ने ईडी मामले में उन्हें जमानत देते हुए कहा था कि केजरीवाल अपने कार्यालय या दिल्ली सचिवालय नहीं जा सकते और जब किसी बहुत जरूरी मामले में ऐसा करना हो तो उन्हें उपराज्यपाल से मंजूरी लेनी होगी। अदालत ने कहा कि निकट भविष्य में मुकदमा पूरा होने का अनुमान नहीं है और अदालत ने केजरीवाल द्वारा जांच को प्रभावित किए जाने की आशंका खारिज कर दी। अलग से निर्णय लिखने वाले न्यायमूर्ति भुइयां ने जमानत देने को लेकर न्यायमूर्ति कांत से सहमति व्यक्त की। न्यायमूर्ति भुइयां ने सीबीआई द्वारा केजरीवाल की गिरफ्तारी के समय पर सवाल उठाया और कहा कि एजेंसी का उद्देश्य ईडी मामले में उन्हें जमानत दिए जाने में बाधा डालना था। वह ईडी मामले में रिहाई के समय केजरीवाल को गिरफ्तार करने को लेकर सीबीआई की जल्दबाजी को समझ नहीं पाए हैं, जबकि उसने 22 महीने तक ऐसा नहीं किया। सीबीआई केजरीवाल के गोलमोल जवाबों का हवाला देते हुए उनकी गिरफ्तारी और लगातार हिरासत में रखे जाने को उचित नहीं ठहरा सकती। उन्होंने कहा कि सहयोग न करने का मतलब आत्म-दोषारोपण नहीं हो सकता।

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