नीतीश कुमार के करा दी जातिवार जनगणना तो पीछे क्यों रह गई सपा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में इन दिनों बीजेपी के अंदरूनी कलह का मुद्दा गरमाया हुआ है। वहीं अब बीजेपी के साथी दल भी बीजेपी को आइना दिखाने से पीछे नहीं हाथ रहे हैं। देशभर में जाति जनगणना का मुद्दा सुर्खियों में है। विपक्ष के नेता राहुल गांधी से लेकर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव तक। हर कोई इस मुद्दे पर सरकार को जमकर घेर रहा है। एनडीए की सहयोगी और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल भी इस मुद्दे पर विपक्षी दलों के साथ खड़ी नजर आ रही हैं। उन्होंने जाति जनगणना का खुलकर समर्थन किया है। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने जाति जनगणना का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि हमारे पास आधिकारिक डेटा होना चाहिए कि कितनी जातियां हैं। उन्होंने समाजवादी पार्टी पर भी निशाना साधा और कहा कि सपा आज इस मुद्दे पर बात कर रही है, लेकिन जब उनकी सरकार थी, तो उन्होंने जाति जनगणना क्यों नहीं कराई। समाजवादी पार्टी चार बार सत्ता में रही, मुलायम सिंह यादव तीन बार सीएम बने और एक बार अखिलेश यादव की सरकार सत्ता में रही। उन्होंने कभी जाति जनगणना की बात नही की, लेकिन अब जब वे सत्ता में नहीं हैं, तो वे इसकी बात कर रहे हैं। जब आप एक के बाद एक चुनाव हार रहे हैं, तो आप इस मुद्दे को उठा रहे हैं। नीतीश कुमार जाति जनगणना कराना चाहते थे, उन्होंने करा लीतो समाजवादी पार्टी ने क्यों नहीं कराई?अनुप्रिया पटेल ने कहा कि हम जाति जनगणना का समर्थन करते हैं क्योंकि हमारा मानना घ्घ्है कि भारतीय समाज कई जातियों में वर्षों से बंटा हुआ है। जरूरी है कि हमारे पास सभी जातियों की संख्या का आधिकारिक आंकड़ा हो। सभी समुदायों की न्याय व्यवस्था, नौकरशाही और विभागों में हिस्सेदारी हो। सरकार की योजनाओं का लाभ सभी को मिले। जातिगत भेदभाव, जाति विभाजन हकीकत है। इस दौरान अनुप्रिया पटेल ने योगी सरकार को लिखे पत्र और 69 हजार शिक्षक भर्ती मामले में अभ्यर्थी दो साल तक धरना देते रहे लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। अगर कुछ ठीक नहीं हो रहा है तो सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस पर बात करे। मैं अपने लोगों के लिए खड़ी हुई हूं। अगर सब ठीक नहीं हुआ तो मुझे आवाज उठानी पड़ेगी।