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सामाजिक सरोकार तथा सार्वजनिक हित से जुड़कर ही पत्रकारिता सार्थक बनती है।

 पत्रकार गुड्डू मिश्रा

सामाजिक सरोकारों को व्यवस्था की दहलीज तक पहुंचाने और प्रशासन की जनहित कारी नीतियों तथा योजनाओं को समाज के सबसे निचले तबके तक ले जाने के दायित्व का निर्वहन ही सार्थक पत्रकारिता है ।
पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ भी कहा जाता है। पत्रकारिता ने लोकतंत्र में यह महत्वपूर्ण स्थान अपने आप नहीं प्राप्त किया है बल्कि सामाजिक सरोकारों के प्रति पत्रकारिता के दायित्व के महत्व को देखते हुए समाज ने ही दर्जा दिया है। कोई भी लोकतंत्र तभी सशक्त है जब पत्रकारिता सामाजिक सरोकारों के प्रति अपनी सार्थक भूमिका निभाती रहे।
सार्थक पत्रकारिता का उद्देश्य ही यह होना चाहिए कि वह प्रशासन और समाज के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी की भूमिका अपनाये।

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