तरह तरह की चर्चाएं, ये इत्तेफाक या फिर कुछ और
लखनऊ,। लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई थी, लेकिन बैठक में दोनों उपमुख्यमंत्री, केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक गैरहाजिर रहे। अनुपस्थिति ने राजनीतिक हलकों में चर्चा का मौका दे दिया। भले ही इतेफाक हो लेकिन बात उठती है।योगी आदित्यनाथ ने बैठक प्रदेश में भाजपा की हार की समीक्षा और आगामी योजनाओं पर चर्चा के लिए बुलाई थी। इसमें विभिन्न विभागों के मंत्रियों और अधिकारियों को शामिल होना था।दोनों डिप्टी सीएम की अनुपस्थिति के कारण स्पष्ट नहीं हैं। केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक की बैठक से गैरमौजूदगी पर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह प्रदेश सरकार के अंदरूनी मामलों और संभावित आंतरिक खींचतान का संकेत हो सकता है। दोनों डिप्टी सीएम के ऑफिस से कोई आधिकारिक बयान नहीं है। डिप्टी सीएम की अनुपस्थिति ने राजनीतिक गलियारों हलचल मचा दी है। सूत्रों की माने तो यह किसी राजनीतिक असंतोष का परिणाम हो सकता है, जबकि अन्य का मानना है कि यह एक संयोग मात्र हो सकता है।इसपर प्रतिक्रिया देते हुए विपक्षी दलों ने भाजपा पर निशाना साधा है। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने कहा, यह घटना सरकार की आंतरिक कलह और कमजोरियों को उजागर करती है। कांग्रेस के प्रवक्ता ने भी इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह राज्य के प्रशासन में हो रही खामियों का प्रतीक है। सबकी नजरें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व पर हैं कि वे क्या रुख अपनाते हैं। क्या केवल एक संयोग था या कोई राजनीतिक रणनीति है, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट हो सकेगा। उत्तर प्रदेश की राजनीति में यह घटना एक नया मोड़ ला सकती है और इसके परिणामस्वरूप आने वाले समय में कई महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं।