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बीते कई विकास कार्यों से सुमार हुई लालपुर पंचायत।

खामियां उजगार करों मगर खूबियों का भी स्वागत करो।
निघासन खीरी। कहावत तो हम आये दिन एक से एक सुनते रहते है और हम से में बहुत से लोग उन कहावतों पर अमल भी करते है। उन्ही कहावतों में एक कहावत यह भी है की दूध का धुला कोई नही है।
कहने में तो यह कहावत बस कुछ शब्दों से सुमार है मगर अर्थ बहुत कुछ कहता है और मेरे हिसाब से आज के युग मे यह कहावत काफी हद तक सही भी है।
मगर इस कहावत के साथ हम यह भी कहेंगे की आज के युग में इंसान दूध का धुला न भी हो मगर उसके द्वारा किये गए कुछ नेक कार्य जरूर लोगों को दिखते है। जिससे यकीनन उस इंसान के कार्यों को सराहना मिलती है।
आज हम बात करेंगे एक ऐसी पंचायत की जो अपनी खामियों की वजह से भी चर्चे में रही और अपनी खूबियों की वजह से भी चर्चे में रही।
आज के इस युग मे खामियां तो बहुत जल्द लोगों को नजर आती है मगर आज हम आपको रूबरू कराएंगे लालपुर पंचायत में हुए विकास कार्यों से जो जमीनी हक्कीत को बयाँ करते हुए लोगों को दिखते और पंचायत वासियों के मुख से कार्यों की सराहना बन बाहर भी आते।
गांवों का विकास गांवों की सड़कों को देखकर भी बहुत कुछ बयाँ करता है मगर आज गांवों की सड़कें विकास के उन पन्नो पर सोभायमान है जिन्हें बीते समय जो भी देखता वो सिस्टम को कोसता जरूर था मगर आज गाँव की सड़कें काफी हद तक सही है।
पंचायत के लगभग सभी प्राथमिक विद्यालयों की बाउंड्रीवाल जो आज छोटे-छोटे बच्चों की रखवाली के साथ-साथ विद्यालय परिसर में लगे ऑक्सीजन दाता रूपी वृक्षों की भी रखवाली कर रही है।
पंचायत में बना बाल पुस्तकालय जो अपने आप में विकास का वो परचम है जो पंचायत के गाँव झंडी में स्वागत के लिए सर्वप्रथम विकास का प्रतीक बन खड़ा है। हालांकि अभी इस बाल पुस्तकालय में कुछ मरम्मत होनी है उसके बाद यह सुचारू रूप से शुरू होगा।
पंचायत के गाँव झंडी प्राथमिक विद्यालय में बना भारत का मानचित्र जो कुछ समय पहले अपनी दुर्दशा पर आंसू बहाने को मजबूर था मगर अब उस भारत के मानचित्र की मरम्मत करवाकर उसे सुंदर रूप दिया गया जो आज झंडी प्राथमिक विद्यालय की शोभा को और बढ़ाता है।
ऐसे कई और कार्य है जो ग्राम पंचायत अधिकारी सुनील पंकज, ग्राम प्रधान रमाकांत गौतम व ग्राम रोजगार सेवक सुरजीत कश्यप की सराहना करने को विवश करते है।
हम में से बहुत से लोग सिर्फ खामियां देखते है और सिर्फ और सिर्फ उनकी खामियों को ही उजागर करते है मगर हमें खामियों के साथ खूबियां भी उजगार करनी चाहिए ताकि हर वो इंसान जो दूध का धुला नही होता है वो कम से कम अपने आप को पानी का धुला तो कह ही सके।
हम खामियां भी उजागर करते है और जब नेक कार्य लोगों की समझ से परे हो तो उन्ही नेक कार्यों की खूबियों को उजागर करना भी अपना धर्म समझते है।
फिर उसी कहावत पर आते है कि आज के युग मे दूध का धुला कोई नही होता मगर नेक कार्यों को कभी छिपाया भी नही जा सकता।
खामियां उजगार करों मगर खूबियों का भी स्वागत करो।

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