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निर्देश, आदेश कूडे में, नही हट सके शहर में सट्टे

कानपुर नगर| सरकार कानपुर को स्मार्ट शहर बनाना चाहती है, जिसके तहत कई चीजे ठीक करायी जा रही है, यातायात व्यवस्था के लिए जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगवाये जा रहे है, इंटीग्रेटर सिस्टम से शहर को लैस करने की तैयारी की जा रही है। नये-नये निर्माण हो रहे है लेकिन इन सबके बीच शहर भर में दो समस्याये भारी है, जो लोगों को सीधा प्रभावित कर रही है। पहली शहर की  सबसे बडी समस्या है अवैध अतिक्रमण और दूसरी बडी समस्या शहर के बीच में बने चट्टे है। यह चटटे शहर के लिए दाग बन चुके है। बातें तो बहुत की गयी लेकिन जिम्मेदारो ने पूरी कोशिश नही की। चट्टो के कारण शहर की नालियां जाम है। शहर का कोई भी हिस्सा ऐसा नही है कि जहां आज छोटे-बडे चट्टे न संचालित हो रहे है। हजारो गाय-भैंस इन चट्टो में पल रही है। भैंसों को चट्टो पर बांधा जाता है और गाय को दहने के बाद सडकों पर छोड दिया जाता है, जिससे बडे पैमाने पर यातायात प्रभावित हो रहा है।वर्तमान मेें कानपुर नगर में ढाई हजार  से अधिक चट्टे यहां के मोहल्लो में संचालित किये जा रहे है जिनमें बडे पैमाने पर जानवर पले हुए है। इन जानवरों से प्रतिदिन निकलने वाला गोबर का निस्तारण नही हो पाता है और च्टटा संचालक गोबर को नालियों में बहा रहा है। पूर्व में नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना ने अधिकारियों को आदेश दिया था लेकिन लापरवाह अधिकारी ने उनके आदेशो को रददी में डाल दिया। शहर से चट्टा हटाये जाने के काम को केवल कागजी घोडे के रूप में ही दौडाया जा रहा है। वहीं जनता का कहना है कि यदि कभी कोई कार्यवाही होती भी है तो जन प्रतिनिधि ही इसके आडे आ जाते है और सडको के लिए संचालित अवैध चटटो को नही हटाने देते है। वहीं जन प्रतिनिधी आम भाषा में तो इसे गलत मानते है लेकिन इस गंभीर समस्या को जानते हुए भी उसपर गंभीर नही है। ऐसा नही कि शहर के चटटो को हटाने के लिए योजना नही बनायी गयी लेकिन अधिकारियों की लापरवाही के कारण योजना फेल हो गयी। केडीए द्वारा पशुओं के लिए बिनगंवा में कैटल कालोनी बनायी थी और पिछले वर्ष यहां 80 चटटे भी भेजे गये, लेकिन सभी चटटे फिर वापस शहर लौट आये। चटटा संचालको को वहां से वापस आये काफी समय हो गया लेकिन जिम्मेदारो ने किसी भी चटटा संचालक के खिलाफ कार्यवाही नही की। पूर्व में केडीए बोर्ड की बैठक में मण्डलायुक्त सुभाषचंद्र ने चट्टो को शहर से हटवाने और कार्यवाही के आदेश दिये थे साथ ही कैटल कालोनी के लिए और भी जगह चिन्हित करने को भी कहा थे लेकिन अभी तक अधिकारियों ने इस ओर ध्यान नही दिया है। वहीं एक वादा महापौर और नगर आयुक्त ने भी किया था कि शहर से चटटे तो हटाये ही जायेगी साथ ही गोबर उठाने के लिए भी अभियान चलाया जायेगा लेकिन यह सब भी ठण्डे बस्ते में चला गया। वहीं गोबर के कारण चोक नालियों को साफ कराने के लिए जलकल व नगर निगम को लाखो की चपत लगती है। ग्वालटोली, स्वरूप नगर, गुमटी, आर्य नगर, लाजपत नगर, सर्वोदयन नगर, नवाब गंज, आजाद नगर जैसे इलाको में बडे-बडे चटटे सडकों के किनारे संचालित किये जा रहे है जहां सैकडो की तादात में जानवर है और किसी भी समय देखा जा सकता है कि इन जानवरो का गोबर रोजाना बडी मात्रा में नालियों में बहाया जा रहा है।

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