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झांसी और जालौन जिले के बॉर्डर पर है पुलिस चौकी फिर भी नही कोई दरोगा तैनात

पुलिस चौकी पिरौना में नही कोई दरोगा तैनात, सिपाहियों के हवाले सुरक्षा व्यवस्था

फरियादी ने बताया कि चौकी नही कोई दरोगा तैनात, थाने तक भागना पड़ता हैं न्याय के लिए

आए दिन सनसनीखेज वारदातों वाले एरिया में भी चौकी बनीं शोपीस, पर्याप्त स्टाफ भी नहीं चौकी में

पिरौना (जालौन)। किसी भी वारदात की शिकायत करने या किसी मुश्किल में फरियादियों के लिए सबसे आसान इलाके की पुलिस चौकी में पहुंचना होता है। पीडि़त को आसानी से और जल्दी से राहत मिले इसके लिए हर थाने क्षेत्रों में पुलिस चौकी बनाई गई है। लेकिन, हालात ये हैं कि अधिकतर पुलिस चौकी में न्याय नहीं मिलता हैं। यहां फरियादी बहुत उम्मीदें लेकर जाता है पुलिस चौकी मजबूरी में थाने जाना पड़ता है जहां से उसे फिर चौकी भेजा जाता है। अगर चौकी खुली मिल गई तो बाहर मौजूद होमगार्ड भी थाने जाने की नसीहत दे देता है। ऐसे में इलाके की सुरक्षा व्यवस्था का क्या हाल होगा, अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है जिले के बॉर्डर पर हैं यह पुलिस चौकी आए दिन घटनाएं होती रहती है फिर भी नही कोई दरोगा तैनात।

चौकी खाली, कैसे हो रखवाली
पिरौना पुलिस चौकी में नही कोई दरोगा तैनात जिससे सिपाहियों के सहारे चल रही पुलिस चौकी जबकि पिरौना इलाका, जहां रात तो क्या दिन में ही तमाम सनसनीखेज वारदातें हो जाती हैं।

पिरौना पुलिस चौकी में फोर्स की कमी भी बड़ा कारण
पुलिस के रेगुलेशन के मुताबिक हर चौकी में एक चौकी इंचार्ज के साथ उसका समकक्ष दो दारोगा, एक महिला दारोगा, 13 सिपाही और दो गार्ड होने चाहिए। लेकिन जिले में पुलिस स्टाफ पूरा न होने की वजह से एक सब इंस्पेक्टर और तीन सिपाही रहते हैं। इन्हीं सिपाहियों को गश्त, विवाद के दौरान मौका मुआयना और विवादों का निस्तारण भी करना होता है। कभी कभी वीआईपी ड्यूटी में भी ये पुलिस कर्मी लगा दिए जाते हैं।

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