Home > पश्चिम उ० प्र० > उरई > आखिर क्यों है ग्रामीण इलाकों के लोगो को झोलाछाप डॉक्टरों पर भरोसा

आखिर क्यों है ग्रामीण इलाकों के लोगो को झोलाछाप डॉक्टरों पर भरोसा

ग्रामीण इलाकों में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार पैसे के लिए कर देते सारे शरीर का चेकप जबकि नही है कोई जानकारी

महिला मरीज को इंजेक्शन लगाता झोलाछाप डॉक्टर

पिरौना (जालौन)। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के चलते ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पा रही है इसकी वजह से उनका धंधा धड़ल्ले से चल रहा है झोलाछाप डॉक्टरों के हौंसले बुलंद मरीजों की जान से कर रहे खिलवाड़ इनमें से किसी भी चिकित्सक की मौके पर पहुंचकर न तो जांच की जाती और न ही उनके प्रमाणपत्रों की पड़ताल की जाती है जालौन जिले में गांव-गांव में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। चाय की गुमटियों जैसी दुकानाें में झोलाछाप डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। मरीज चाहे उल्टी, दस्त, खांसी, बुखार से पीड़ित हो या फिर अन्य कोई बीमारी से। सभी बीमारियों का इलाज यह झोलाछाप डॉक्टर करने को तैयार हो जाते हैं। खास बात यह है कि अधिकतर झोलाछाप डॉक्टरों की उम्र 15 से 25 साल के बीच है। मरीज की हालत बिगड़ती है तो उससे आनन फानन में जिला अस्पताल भेज दिया जाता है जबकि यह लापरवाही स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की जानकारी में भी है ग्रामीण क्षेत्र पिरौना, जखौली, पिण्डारी, विरगुवा खुर्द, चमारी, हिनहुना, चौतरहाई, जमरोही कला, जमरोहीखुर्द, धमसेनी, विरासनी, मबई, धुरट, सला, छिरावली, गुमावली सहित दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां सरकारी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध होने के बाद भी झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार हैं। वहीं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर सुविधाएं नहीं हैं। इसका फायदा सीधे तौर पर झोलाछाप डॉक्टर उठा रहे हैं गांव के लोगो के अनुसार गांव में सरकारी इलाज की सुविधा नहीं है बीमार होने पर झोलाछाप डॉक्टरों से ही इलाज कराना पड़ता है बिना लाइसेंस के दवाओं का भंडारण भी करते हैं डॉक्टर झोलाछाप चिकित्सकों द्वारा बिना पंजीयन के एलोपैथी चिकित्सा व्यवसाय ही नहीं किया जा रहा है। बल्कि बिना ड्रग लाइसेंस के दवाओं का भंडारण व विक्रय भी अवैध रूप से किया जा रहा है। दुकानों के भीतर कार्टून में दवाओं का अवैध तरीके से भंडारण रहता है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कई सालों से अवैध रूप से चिकित्सा व्यवसाय कर रहे लोगों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। इन दिनों मौसमी बीमारियों जैसे बुखार, डेंगू,कोरोना जैसी बीमारी का कहर है। झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें मरीजों से भरी पड़ी हैं। गर्मी व तपन बढ़ने के कारण इन दिनो उल्टी, दस्त, बुखार जैसी बीमारियां ज्यादा पनप रही हैं। झोलाछाप इन मर्जों का इलाज ग्लूकोज की बोतलें लगाने से शुरू करते हैं। एक बोतल चढ़ाने के लिए इनकी फीस 150 से 250 रुपए तक होती है।

*स्वास्थ्य विभाग नही करता कोई कार्यवाही*
झोलाछाप डॉक्टरों की वजह से अब तक कई लोगों की असमय जान चली गई है लेकिन अभी तक स्वास्थ्य विभाग ने स्थाई तौर पर झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्रवाई नहीं की झोलाछाप डॉक्टर मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहे हैं और प्रशासन दूर से ही इन्हें देख रहा है। केस बिगड़ने पर जिलाअस्पताल रैफर कर देते मरीज*
बीते कुछ वर्षों से फर्जी डिग्रीधारी डॉक्टरों की वृद्धि हुई है। ग्रामीण क्षेत्र में कोई मात्र फर्स्ट एड के डिग्रीधारी हैं तो कोई अपने आप को बवासीर या दंत चिकित्सक बता रहा है लेकिन इनके निजी क्लीनिकों में लगभग सभी गंभीर बीमारियों का इलाज धड़ल्ले से किया जा रहा है। कुछ डॉक्टरों ने तो अपनी क्लिनिक में ही ब्लड जांच, यूरीन जांच इत्यादि की सुविधा भी कर रखी है। ग्रामीणों ने बताया कि सरकारी अस्पतालों पर लगा रहता ताला और साथ ही डॉक्टरों का बर्ताव ठीक नही, ग्रामीण क्षेत्रों में उप स्वास्थ्य केंद्र खुले हैं। शासन ने उप स्वास्थ्य केंद्रों के भवन बनवाकर उन पर रंगरोगन करा दिया लेकिन स्टॉफ की माकूल व्यवस्था नहीं की। जिससे यह यह उप स्वास्थ्य केंद्र बंद रहते हैं। यही हालत पिरौना में स्थित प्राथमिक उपस्वास्थ्य केंद्र की भी है। यह अस्पताल दोपहर 12 बजे बंद हो जाता है। मजबूरन डॉक्टरों को झोलाछाप डॉक्टरों से इलाज कराना पड़ता है।
उद्धरित लेख छिपाएं

*सीएमओ ने बताया कि टीम बनाकर की जाएगी कार्यवाही*
जल्द ही एक टीम बनाई जाएगी
यह टीम पूरे जिले में जहां झोलाछाप डॉक्टरों की दुकानें चल रही हैं वहां कार्रवाई करेगी। डाॅ. ऊषा अहिरवार सीएमओ जालौन

*आखिर क्यों है ग्रामीण इलाको में लोगो को झोलाछाप डॉक्टरों पर भरोसा*
जालौन जिले में नगर सहित आस पास के ग्रामीण इलाकों में झोलाछाप डॉक्टर्स की चांदी है. इन्होने मेडिकल प्रोफेशन को फर्जी तरीके से हाईजैक कर रखा है और उसे अपनी कमाई का जरिया बनाए हैं. झोलाछाप डॉक्टर लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. जिले में इनकी दुकानें दिनों दिन बढ़ती जा रहीं हैं. इसका एक कारण ये भी है कि लोगों का इन पर भरोसा बढ़ता जा रहा हैं. जबकि मरीजों को न अपनी जान की परवाह है और न ही मनमानी फीस की जालौन जिले में कुछ ऐसे ही हालात ग्रामीण क्षेत्रों में नजर आते हैं. जहां एक या दो नहीं बल्कि कई ऐसे झोलाछाप डॉक्टरों ने अपने क्लीनिक्स खोल रखे हैं. इनके पास ना तो डिप्लोमा है ना ही डिग्री. अधकचरी जानकारी के साथ वे कई गांवों के ‘डॉक्टर साहब’ बन बैठे हैं. ग्रामीण इलाकों में अपनी कमाई का जरिया बनाए हुए झोलाछाप डॉक्टर लोगों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. लेकिन गलती सिर्फ झोलाछाप डॉक्टरों की नहीं है. बल्कि उन लोगो की भी हैं जो जल्द भरोसा कर लेते हैं इनके पास इलाज कराने पहुंचने वाले लोग जरुरी नहीं की अनपढ़ हैं. कई लोग पढ़े लिखे भी होते हैं. आखिर क्या कारण है कि लोग मुफ्त का इलाज छोड़कर भी पैसे देने के लिए इन झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाते हैं। जमीनी हकीकत जानने के लिए दैनिक जागरण ने एक झोलाछाप डॉक्टर से इलाज करा कर लौट रहे मरीज से बात की पिरौना के एक झोलाछाप डॉक्टर से डायरिया की दवा लेकर लौट रहे बुजुर्ग मरीज से जब हमने पूछा कि वह क्यों उनके पास अपना इलाज कराने आया है. तो उसने बताया कि सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की स्थिति और बर्ताव ठीक नहीं होता. बुजुर्ग का आरोप है कि डॉक्टर न तो जांच करते हैं ना बात, बस दूर से देख कर दवा पर्चा लिख कर चलता कर दिया जाता है. इसलिए वे फीस देकर प्राइवेट डॉक्टरों पर दिखाना उचित समझते हैं और स्वास्थ्य केंद्र लगभग 8 किलोमीटर दूरी पर है

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *