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कोली, पंढेर को नौवें मामले में फांसी की सजा

गाजियाबाद। सीबीआई की विशेष अदालत ने नोएडा के बहुचर्चित निठारीकांड के नौवें मामले में कोठी के मालिक मोनिंदर पंढेर और घरेलू सहायक सुरेंद्र कोली को फांसी की सजा सुनाई। अदालत ने इस जघन्य हत्याकांड के 16 में से नौवें मामले में कल इन्हें दोषी करार दिया था और सजा का ऐलान किया। 25 वर्ष की घरेलू सहायिका अंजलि के बलात्कार और हत्या के इस मामले को भी अदालत ने दुर्लभ श्रेणी में रखते हुए मौत तक फांसी पर लटकाने का फरमान सुनाया। सजा सुनने के बाद घरेलू सहायक सुरेन्द्र कोली की आंखों से आंसू निकल आए। गाजियाबाद की डासना जेल में सजा काट रहे सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह शुक्रवार को विशेष सीबीआई न्यायाधीश पवन कुमार तिवारी की अदालत में पेश हुए। जहां अदालत ने दोनों को फांसी की सजा सुनाई। अदालत ने कहा अंजलि मामले में दोनों को तब तक फांसी के तख्ते पर लटकाया जाए, जब तक उनके प्राण ना निकल जाएं। यह तीसरा मामला है, जिसमें अदालत ने पंढेर और कोली को कल दोषी ठहराया था। निठारी कांड में मोनिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली के खिलाफ 16 मुकदमे चल रहे हैं।आठ मामलों में विशेष अदालत द्वारा फैसला सुनाया जा चुका है। सीबीआई प्रवक्ता अभिषेक दयाल ने कहा, ‘‘कोली और पंढेर दोनो को गाजियाबाद में सीबीआई की विशेष अदालत ने मौत की सजा सुनाई।’’ सीबीआई ने अदालत को बताया कि पीड़िता एक घरेलू सहायिका थी और 12 अक्तूबर 2006 से लापता थी। उसकी पहचान सेक्टर 31 में निठारी गांव में पंढेर के आवास के पीछे से मिले मानवीय अवशेष से मिले कपड़ों से हुई। गौरतलब है कि 20 जून 2005 को 8 साल की एक बच्ची नोएडा के निठारी इलाके से अचानक गायब हो गई थी। इसके बाद से इस इलाके से लगातार बच्चे गायब होने लगे। बच्‍चों के गायब होने का यह सिलसिला एक साल तक चलता रहा और करीब दर्जनभर बच्चे गायब हो गए। इसके बाद पुलिस ने बड़ा सर्च ऑपरेशन चलाया। सात मई 2006 को 21 साल की एक और लड़की जब गायब हुई तो पुलिस को अहम सुराग उसके मोबाइल से मिला। मामले में पहली बार मोनिंदर सिंह पंढेर का नाम सामने आया, जब स्थानीय पुलिस को पंढेर के घर के पिछले हिस्से से 16 व्यक्तियों के अवशेष मिले, जिनमें ज्यादातर बच्चे थे।

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