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सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में बाल रोग विभाग ने मनाया ओआरएस दिवस

इटावा,  (वेबवार्ता)। उत्तरप्रदेश के इटावा जनपद में स्थित चिकित्सा विश्वविद्यालय सैफई के बाल रोग विभाग की ओर से विश्व ओआरएस दिवस सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करते हुए मनाया गया। इस दौरान ओआरएस के महत्व पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डा. राजेश कुमार यादव, फैकेल्टी मेम्बर डा. आईके शर्मा, डा. दिनेश कुमार, डा. दुर्गेश कुमार, डा. गनेश वर्मा, डा. रमेश चंद, जूनियर एवं सीनियर रेजिडेंन्ट, नर्सिंग इन्चार्ज अनीता कुमारी, हेल्थ केयर वर्कस तथा मरीजों के तीमारदार आदि उपस्थित रहे। इस दौरान पूरे सप्ताह चले विश्व ओआरएस सप्ताह का भी समापन हुआ। जिसमें पूरे सप्ताह प्रतिदिन बालरोग विभाग के चिकित्सकों एवं नर्सिंग स्टाफ द्वारा विभाग में भर्ती मरीजों के तीमारदारों को ओआरएस जीवन रक्षक घोल के बनाने की विधि एवं उपयोगिता के बारे में बताने के साथ कोविड-19 के फैलाव को रोकने हेतु सोशल डिस्टेन्सिंग तथा मास्क के महत्व को भी बताया गया। कार्यक्रम के अन्त में डायरिया एवं निर्जलीकरण से सम्बन्धित तीमारदारों के प्रश्नों एवं शंकाओं का भी समाधान किया गया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.डा.राजकुमार ने कहा कि दुनियाभर में, खासतौर पर विकासशील देशों में डायारिया या दस्त और उल्टी जैसी समस्या नवजात शिशुओं और बच्चों की जान को एक बड़ा खतरा है। ये समस्या भले ही बहुत सामान्य हो लेकिन थोड़े ही समय में गंभीर और यहां तक की जानलेवा बन सकती है। ओआरएस इस समस्या में बचाव और राहत का सबसे अहम हिस्सा है। बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डा. राजेश कुमार यादव ने बताया कि ओआरएस यानी ओरल रिहाइड्रेशन साॅल्यूशन (मुंह से लिया जाने वाल पुनः जलयोजन घोल) एक पूरी थैरेपी का एक हिस्सा है। यह थैरेपी है ओरल रिहाड्रेशन थैरेपी। इसके अंतर्गत ओआरएस के साथ ही मां का दूध, हल्का सूप, हल्का नमक मिला चावल का पानी आदि भी आ सकता है, लेकिन इनकी मात्रा आदि को लेकर चिकित्सक से सलाह लेना जरूरी है। यह पूरी थैरेपी शरीर में हुई पानी और खनिज की कमी की पूर्ति कर शरीर को आवश्यक उर्जा देती है। इसमें ओरआरएस सबसे अहम भूमिका निभाता है।

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