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विश्व कल्याण संकल्प के साथ मनकामेश्वर ऊपवन घाट पर पूर्ण गोमती आरती

लखनऊ :- रविवार श्रावण शुक्ल पूर्णिमा, संस्कृत दिवस, रक्षाबंधन व भगवान हयग्रीव जन्मोत्सव के अवसर पर नमोस्तुते माँ गोमती के तत्वाधान में आयोजित आदि माँ गोमती महाआरती से रविवार को वर्षा ऋतू की उपस्तिथि में मनकामेश्वर उपवन घाट की अलौकिता अपने चरम को स्पर्श कर रही थी। 26 अगस्त की पुनीत संध्या पर मनकामेश्वर मठ-मंदिर की प्रमुख महंत देव्या गिरि ने आदि माँ गोमती महाआरती की। भाद्र माह की पूर्वसंध्या पर आयोजित इस गोमती आरती के मौके पर घाटों को वर्षा ऋतु के पुष्पों व हज़ारों दियो से सुशोभित किया गया था। रक्षाबंधन का दिन गुरुवार होने के कारण आदि माँ गोमती महाआरती को देखने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। कार्यक्रम के शुरआत चार बजे मनकामेश्वर उपवन घाट पर महन्त देव्यागिरि ने भगवान हयग्रीव के चित्र पर माल्यार्पण कर हयग्रीव जन्मोत्सव मानया गया।

ग्यारह वेदियों पर की गई आदि गंगा माँ गोमती विश्व कल्याण महाआरती
नमोस्तुते माँ गोमती एवं मनकामेश्वर मठ मंदिर की श्रीमहंत दिव्यगिरी जी महाराज ने मुख्य मंच से माँ गोमती की महा आरती की। पंडित शिवानंद व पंडित शिव राम अवस्थी के आचार्यत्व में सभी वेदियों पर एक ही वेश भूषा में सभी पंडितों ने मंत्रों उच्चार के साथ माँ गोमती की आरती और पूजा अर्चना की। महाआरती में , अमित गुप्ता, अंकुर पांडेय, मोहित कश्यप, राजकुमार, मुकेश गुप्ता, विजय मिश्रा, अमन शुक्ला, दीपू ठाकुर, कमल जायसवाल, नीरज निषात, विक्की कश्यप, दिनेश शर्मा, शुभतिवारी, सोनू शर्मा, तरुण, रामप्रिये झा, आदित्य मिश्र, मुकेश, मुक्तेश, आशीष, की अहम भूमिका रही।

पुष्पार्पण एवं महाआरती के साथ मनाया गया हयाग्रिवा जन्मोत्सव
कार्यक्रम के दूसरे भाग में उपवन घाट पर मंदिर की श्रीमहन्त देव्यागिरि के नेतृत्व में हयग्रिव जन्मोत्सव मनाया गया पुष्पार्पण एवं महाआरती कर देव हयाग्रिवा का आवाहन किया गया, भगवान हयाग्रिवा के बारे मे देव्यागिरि ने कहा की हयग्रिव विष्णु का एक बहुत ही दुर्लभ घोड़ा मस्तक अवतार है| यह अवतार एक समय में हुआ जब राक्षसों ने वेदों द्वारा प्रतिनिधित्व किये जानेवाले ज्ञान चुरा लिया। हयग्रिव राक्षसों से वेदों को बहाल करने के लिए अवतारित किया। हयग्रिव पुनर्स्थापक का प्रतिनिधित्व करता है जो अज्ञानता के झुंड से ज्ञान बहाल करता है| देवी सरस्वती के गुरु के रूप में, कला और विज्ञान के दिव्य संरक्षक, विष्णु के इस घोड़े के मस्तक अवतार बुद्धी और ज्ञान के सभी रूपों पर शासन करते हैं| पवित्र ग्रंथों के अनुसार, विष्णु ने अपने हयग्रीव रूप में पवित्र वैदिक मंत्रों को संकलित किया, जिसका पाठ अभी भी वैदिक अग्नि प्रार्थनाओं (यज्ञ) के अभिन्न अंग हैं। यही कारण है कि पवित्र और सांसारिक विषयों दोनों के अध्ययन शुरू करने से पहले हयग्रिव के आशीर्वाद मांगा जाता है।

वर्षा ऋतू पुष्प रंगोली ने उत्पन किया मनोरम दृस्य
मनकामेश्वर उपवन घाट पर वेदियों के सामने व पूरे परिसर में उपमा पांडेय के निर्देशन में रूपा, नैना गिरी, प्राची, कोमल, राखी समेत अन्य लड़कियों ने भाद्र के आगमन एवं रक्षाबंधन अवसर पर खासकर पीले एवं लाल पुष्पों व दीपों से सुन्दर एवं भावन रंगोली सजाई। आरती देखने आए श्रद्धालुओ मे इन रंगोलियों के सामने सेल्फी लेने की होड़ लगी रही।

विवेकानन्द पाण्डेय व पूजा मिश्रा के भजनों से मंत्र मुग्द हुए श्रद्धालु

विवेकानंद पांडेय भजन के साथ आरम्भ हुई गोमती आरती संध्या, उनके साथियों के संयोजन में घाट पर भजन संध्या का आयोजन हुआ। गुरु मेरी पूजा, नमोस्तुते माँ गोमती,जय गणपति गण नायक… शंकर स्तुति व अन्य भजन सुनकर दर्शक भाव विभोर हो गए। साथ ही साथ भजन गायिका पूजा मिश्रा ने दिव्यांश मिश्रा, जीत अलबेला व दीप कुमार ने अपने शुरू से कार्यक्रम मे समा बांध दिया। इनके साथ संगत मे ज्योति प्रकाश शुक्ल, तबले पर मुकेश शुक्ला, पैड पर सोनू शर्मा ने साथ दिया।

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