मन्दिर की स्थापना के समय आयी थी आंधी और गरजे थे बादल
नवरोत्रों में मईया का खजाना पाने के लिए लगती है भक्तों की भीड
कानपुर नगर | शरदीय नवरात्रि पर शहर के हर मन्दिरों में अलग ही छटा दिख रही है। इसी क्रम में बिरहाना रोड स्थित वैभव लक्ष्मी मंदिर में भक्तों की विशाल भीड लगी रहती है। इस मंदिर में विशेष रूप से जब माता रानी का खजाना भक्तों को बांटा जाता है तो उस समय भक्तों की आस्था और विश्वास देखते ही बनता है। उ0प्र0 का एक मात्र इस वैभव लक्ष्मी मंदिर की स्थाना सन् 2000 के ग्रीष्मकाल में हुई थी। तब से आज तक मन्दिर की प्रसिद्धि लगातार बढती जा रही है।मंदिर के महन्त अनूप कुमार बताते है कि मातारानी ने अपने से पहले महन्त की पत्नी चंचल कपूर को सपने में दर्शन देकर यह बताया कि तुम्हारी अराधन से प्रसन्न होकर मै यहां पर स्थान ग्रहण करना चाहती हूं। आप मेरा स्थान बनवाये सबका कल्याण होगा। यह बार पत्नी ने अनूप कपूर और घर के परिजनो में आनन्द कपूर और माता पुष्पारानी को बतायी। उस समय परिवार की स्थित काफी कमजोर थी और मुश्किल से गुजर बसर चल रहा था। फिलहाल दृढ संकल्प के साथ मातारानी की स्थापना की गयी। स्थापना के समय इन्द्रदेव प्रसन्न होकर बारिश कर रहे थे, खूब तेज आंधी चल रही थी, बादल गरज रहे थे जबकि बारिश का मौसम भी नही था अैर चिलचिलाती ध्ूाप निकली हुइ थी। माता रानी की चैखट पूरी तरह ओले से पट गयी। स्थानीय लोग बताते है कि जबसे इस परिसर पर मातारानी की स्थापना हुई है तबसे यहां पर किसी भी प्रकार का कोई संकट नही आया। देवी के महाप्रताप से जिन युवक युवतियों की शादी नही हो पा रही है वह माता के सामने आते है ओर उन्हे एक ताबीज पहनाई जाती है। भक्तों का मानना है कि एक वर्ष के अन्दर उनकी शादी हो जाती है। ना जाने कितने लोग मातारानी के आर्शीर्वाद से फलीभूत होकर मंदिर में दर्षन हेतु आते है। लेकिन कोई दरबार से निराश नही लौटता। महंत ने बताया कि नवरात्र में यहां मईया का खजाना वितरण किया जाता है जिसको प्राप्त करने के लिए दूरदराज से भक्त भारी संख्या में आते है। मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि मातारारी की पूजा अर्चना करने से बडा कोई कर्म नही होता है।