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1-7 अगस्त तक मनाया जाएगा विश्व स्तनपान सप्ताह

इस साल रहेगी थीम- स्वस्थ समाज के लिए स्तनपान का संकल्प
लखनऊ। हर वर्ष की भाँति इस वर्ष भी 1-7 अगस्त तक विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जायेगा | इस सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक अपर्णा उपाध्याय ने सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को पत्र जारी कर आवश्यक निर्देश दिए हैं | इस वर्ष इस सप्ताह की ग्लोबल थीम रखी गयी है – “स्वस्थ समाज के लिए स्तनपान का संकल्प” | इस साल यह थीम इस बात पर जोर देती है कि स्तनपान प्रोत्साहन समाज के स्थायी विकास के लिए कई मायनों में योगदान देता है | वर्तमान में विश्व में स्तनपान की दरों के सुधार में धीमी गति, मौजूदा आपात स्थिति और कृत्रिम दूध का बढ़ता व्यापार चिंता का विषय है | स्तनपान को बचाना , बढ़ावा देने और इसका समर्थन करने के लिए अनेक रणनीतियां मौजूद हैं लेकिन इनकी निगरानी करने की आवश्यकता है | स्तनपान को लेकर परामर्श देना एक प्रभावी उपाय है जो सभी स्तनपान कराने वाली माताओं और परिवारों को मुख्य रूप से देकर हम मानवता और समाज के लिए एक साथ जीत पा सकते हैं |
पत्र के अनुसार – शिशु के लिए स्तनपान मौलिक अधिकार तथा सर्वोत्तम आहार है | माँ का दूध शिशु के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है | शिशु को डायरिया, निमोनिया एवं कुपोषण से बचाने में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है | शिशु एवं बाल मृत्यु दर में कमी के लिए उसके प्रभाव को ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक है कि नवजात को जन्म के 1 घंटे के भीतर नवजात को स्तनपान शुरू किया जाये | शिशु को 6 माह तक केवल स्तनपान कराया जाये | शिशु के 6 माह पूरे होने पर पूरक आहार देना प्रारम्भ किया जाए और बच्चे के 2 वर्ष पूरे होने तक स्तनपान जारी रखा जाए |
पत्र के अनुसार – भारत सरकार ने 2016 में स्तनपान और ऊपरी आहार को बढ़ावा देने किये “माँ”(Mother Absolute Affection) कार्यक्रम की शुरुआत की थी | इस कार्यक्रम का नारा है – “स्तनपान विकल्प नहीं, संकल्प है” |
पत्र के हवाले से – स्तनपान का महत्व कोविड संक्रमण के दौरान और अधिक हो जाता है क्योंकि स्तनपान रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है | विश्व स्वास्थ्य संगठन और यूनिसेफ द्वारा जारी किये गए निर्देश इस बात पर बल देते हैं कि प्रत्येक माँ को, यहाँ तक कि कोविड उपचाराधीन माँ को भी शिशु को स्तनपान कराना चाहिए | अभी तक किसी भी शोध से यह निष्कर्ष नहीं निकला है कि कोरोना वायरस माँ के दूध से शिशु तक पहुँच सकता है बस माँ को सावधानी बरतना जरूरी है | दूध पिलाने से पहले स्तनों को और स्वयं के हाथ साबुन से कम से कम 40 सेकेण्ड तक साफ़ करना चाहिए तथा चेहरे, नाक और मुंह पर मास्क लगाये रहना चाहिए |
यदि माँ अपना दूध पिलाने में बिलकुल भी समर्थ नहीं है तो उस दशा में परिवार के किसी सदस्य के सहयोग से माँ के दूध को एक साफ कटोरी में निकालकर चम्मच से पिलाया जा सकता है |

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