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अमेरिका ने म्यांमा में सैन्य प्रताड़ना की जांच कराए जाने की अपील की

वाशिंगटन। म्यांमा में सेना द्वारा देशभर से हिरासत में लिए गए लोगों को सुनियोजित तरीके से प्रताड़ित किए जाने का खुलासा करने वाली ‘द एसोसिएटेड प्रेस’ (एपी) की रिपोर्ट के मद्देनजर अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को नाराजगी जताते हुए इसकी जांच की मांग की। म्यांमा में मानवाधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष विशेषज्ञ ने भी सेना पर पुरजोर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाए जाने की अपील की है। अमेरिका में सांसदों ने कांग्रेस से अपील की है कि वह ‘एपी’ की रिपोर्ट के मद्देनजर कार्रवाई करे। ‘एपी’ की रिपोर्ट महिलाओं एवं बच्चों समेत उन 28 लोगों के साक्षात्कारों पर आधारित है, जिन्हें फरवरी में म्यांमा में सैन्य तख्तापलट के बाद हिरासत में लिया गया था और बाद में रिहा कर दिया गया। विदेश मंत्रालय ने म्यांमा के लिए उसके एक अन्य नाम ‘बर्मा’ का इस्तेमाल करते हुए कहा, ‘‘हम बर्मा के सैन्य शासन द्वारा देशभर में लोगों को सुनियोजित तरीके से प्रताड़ित किए जाने से आक्रोशित और व्यथित हैं। उसने कहा, ‘‘बर्मा में लोगों को प्रताड़ित किए जाने की खबरों की विश्वसनीय जांच होनी चाहिए और इस प्रकार की प्रताड़ना के लिए जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। म्यांमा पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत टॉम एंड्रयू ने एक बयान में कहा, ‘‘एपी की जांच इस बात पर महत्वपूर्ण रूप से प्रकाश डालती है कि जुंटा की आपराधिक प्रताड़ना मुहिम सुनियोजित और कितनी व्यापक है। उन्होंने कहा, ‘‘हिरासत में बंद लोगों को प्रताड़ित करके मौत के घाट उतारे जाने की घटनाओं के प्रत्यक्ष गवाह रहे सैन्य कर्मियों का कबूलनामा और ‘एपी’ द्वारा प्रताड़ना एवं पूछताछ केंद्र स्थलों का खुलासा किया जाना जवाबदेह ठहराने के प्रयासों के लिए अहम होगा। प्रतिनिधि सभा की विदेश मामलों की समिति के शीर्ष रिपब्लिकन नेता माइकल मैक्कॉल ने इन निष्कर्षों के मद्देनजर सदन से ‘बर्मा अधिनियम’ पर मतदान करने का आग्रह किया। इस विधेयक के पारित होने से म्यांमा सेना के खिलाफ और प्रतिबंध लगाए जा सकेंगे। प्रतिनिधि सभा की विदेश मामलों की समिति के डेमोक्रेटिक अध्यक्ष ग्रेगरी मीक्स ने भी विधेयक पारित किए जाने की संसद से अपील की। इसके अलावा मानवाधिकार समूहों ने भी इस मामले पर तत्काल अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई किए जाने की अपील की है। उल्लेखनीय है कि तस्वीरों संबंधी साक्ष्यों, रेखाचित्रों और पत्रों के साथ-साथ पूर्व सैन्य अधिकारियों की गवाही के आधार पर की गई ‘एपी’ की जांच तख्तापलट के बाद से अत्यंत गोपनीय हिरासत प्रणाली के बारे में समग्र जानकारी देती है। सेना और पुलिस ने फरवरी से 1,200 से अधिक लोगों की कथित रूप से हत्या कर दी है। ‘एपी’ ने साक्षात्कारों एवं उपग्रह से मिली तस्वीरों के आधार पर जेलों और पुलिस लॉकअप के अलावा म्यांमा में दर्जनों पूछताछ केंद्रों की पहचान की है।

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