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ब्लॉक प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष हेतु प्रत्याशी उतारने में सपा दौड़ में आगे

सुरेश कुमार तिवारी
कहोबा चौराहा,गोंडा। हाल ही में संपन्न हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में विजयी हुए प्रत्याशी जहाँ एक ओर जीत का जश्न मनाने में जुटे हैं वहीं दूसरी ओर ब्लाक प्रमुख व जिला पंचायत अध्यक्ष पद के दावेदारों ने भी अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए चाल चलने शुरु कर दिए हैं। जिले के सोलह ब्लाकों के प्रमुख पद के दावेदारों द्वारा विजयी बी.डी.सी. प्रत्याशियों से लगातार सम्पर्क साधा जा रहा है वहीं जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए अपनी अपनी दावेदारी पेश करने के लिए सदस्य जिला पंचायतों से भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संपर्क किया जा रहा है। बताते चलें कि गोण्डा जनपद में इस बार सीधी लड़ाई सपा और भाजपा समर्थित प्रत्याशियों के बीच होनी तय मानी जाती है जहाँ भाजपा से दावेदारी पेश करने वाले भावी प्रत्याशी सदस्य क्षेत्र पंचायतों से लगातार सम्पर्क साधकर अपने पक्ष में मतदान व समर्थन करने के लिए पूरी मजबूती के साथ पैरवी दिख रही हैं तो वहीं दूसरी ओर सपा के भावी प्रत्याशी अभी आत्ममंथन करते नजर आ रहे हैं। चर्चा है कि कहीं न कहीं सत्ता की हनक से सपाई प्रभावित दिख रहे हैं सपा के भावी प्रत्याशी जहाँ सोशल मीडिया पर स्वयं की दावेदारी पेश कर रहे हैं वहीं बीजेपी के दावेदार सीधे सम्पर्क साधने में विश्वास दिखा रहे हैं। धन-बल का चुनाव माना जाने वाले इस चुनाव में जीत का सेहरा उसी व्यक्ति के सिर चढ़ता है जो काफी धन व बल खर्च करता है। सिर्फ बातें बनाने से या वादे दिखाने से ये चुनाव कतई नही जीता जा सकता है इस बात का इतिहास गवाह है। सिर्फ बातों से या सोशल मीडिया पर दावेदारी पेश करने वाले सपा प्रत्याशी के सिपाही इस दौड़ में अभी काफी पीछे नजर आ रहे हैं वहीं दूसरी ओर भाजपा अपनी पकड़ ढीली नहीं करना चाहती वह सदस्य क्षेत्र पंचायतों और सदस्य जिला पंचायतों को लुभाने में कोई कोर कसर नही छोड़ना चाहती। आगामी चुनाव अहम रोल माना जा रहा इन पदों को कोई भी पार्टी अपने हाथ से यूं ही जाने नहीं देगी फिर भी समाजवादी पार्टी इस दौड़ को पार करने में अभी काफी संघर्ष शील नजर आ रही है। पार्टी के बड़े नेताओं से बात करने पर बताया कि चुनाव तो हर हाल में पार्टी लड़ेगी। अब सवाल यह उठता है कि बगैर सम्पर्क किये ही सपा किस आधार पर मजबूती से चुनाव लडेगी। सत्ता का हनक तो शुरू से ही रहा है और रहेगा तो क्या विपक्ष को इस तरह से चुप्पी साध लेना क्या उसके लक्ष्य को हासिल करा सकता है। भाजपा के समर्थक अपने प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए जहां तन मन धन से दृढ़ प्रतिज्ञ होकर मैदान संभाल रहे हैं वहीं सपा सिपाही अभी तक असमंजस में दिख रहे हैं । चुनाव को लेकर अभी तक एक ही बयान सुनने को मिला है कि कोई न कोई लड़ेगा जरूर पर कौन आ रहा है मैदान में इस बात का फैसला अभी तक हो नहीं पाया है। वहीं समाजवादी पार्टी समर्थक बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं अपने भावी प्रत्याशी का पर हर दिन निराशा ही हाथ लगती दिखती है। सपा के इसी असमंजस का फायदा उठाकर भाजपा समर्थक ज्यादा से ज्यादा सदस्य क्षेत्र पंचायतों व जिला सदस्य पंचायतों को अपने पक्ष में करते नजर आ रहे हैं। आगामी चुनाव की बात करें तो सपा सरकार की काफी संभावनाएं बनती दिख रही हैं। परंतु समाजवादी चिंतकों को और भी जमीनी मेहनत करना चाहिए। कुछ सदस्यों से बात करने पर पता चला कि सपा के भावी प्रत्याशियों से बात हुई आने का वादा किये और आये नही जिसको लेकर भी समाज में एक चर्चा उठी कि सब जुबानी खेल है कहकर सपा समर्थकों ने रोष भी जताया। कहना यही है कि भाजपा हो सपा जीत उसी की सुनिश्चित होगी जो सबके मान सम्मान को बनाये रखने में सहयोग करेगा। आपसी असमंजस और इस चुनाव की तैयारी को देखकर सपा सिपाहियों को २०२२ के चुनाव के लिए काफी मेहनत करनी पड़ सकती है। यदि चुनाव सिर पर होने के बावजूद इस तरह चुप्पी रहेगी तो चुनावी पार करना लोहे के चने चबाने जैसा साबित होगा।

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