इसलाम ज़िंदा होता है हर करबला के बाद, वक़ारे खूने शहीदाने करबला की क़सम , यज़ीद मोर्चा जीता है जंग हारा है
बलिया। इसलाम की तारीख़ कुर्बानियों पर ही रक़म की गई वह चाहें जंगे बदर और ओहद वग़ैरह के मुजाहिदीन हों या करबला के शोहदा और जब जब इस्लाम के अरकान को मिटाने की कोशिश की गई जब जब इस्लाम और इस्लाम के मानने वालों पर जुल्म किया गया तब तब अल्लाह ने इसलाम की पासवानी के लिए इसलाम को बचाने के लिए किसी ना किसी मर्दे मुजाहिद को भेज दिया वह चाहें ख़ालिद बिन वलीद या तारिक बिन ज़्याद सलाहुद्दीन अय्यूबी की शक्ल में हो या हज़रते हुसैन की शक्ल में इतिहास गवाह है कि यज़ीद एक ज़ालिम और बे ग़ैरत आदमी था। वह अपने वालिद हज़रते अमीरे माविया का वारिस था वह इसलाम के अरकान को मिटाकर नया इसलाम देना चाहता था वह अपनी मर्ज़ी का इसलाम क़ायम करना चाहता था मगर इसलाम को बचाने की ज़िम्मेदारी अल्लाह ने ली है। इसी लिए अल्लाह ने उस वक़्त इसलाम की पासवानी के लिए इसलाम की बक़ा के लिए फातेह ख़ैबर के शहज़ादे हज़रते फ़ातिमा के लखते जिगर रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहिवसल्लम की आंखों की ठंडक हज़रते हुसैन को मुंतखिब किया दुनिया ने देखा कि अपनी हुकूमत को वुजूद में लाने के लिए यज़ीद हज़रते हुसैन से सिर्फ बैअत चाहता था मगर हज़रते हुसैन ने साबित कर दिया कि सर कटे तो कटे घर लुटे तो लुटे जवान भतीजों की क़ुरबानी देनी पड़े तो कोई बात नही नन्हे अली असग़र की शहादत हो तो हो जाये मगर नाना के दीन में जो हराम है। वह हराम रहे जो हलाल है वह हलाल रहे हज़रते हुसैन दुनिया को मैसेज देते हुए नज़र आते हैं कि बातिल कितनी भी ताक़त में हो बातिल कितना बड़ा ही ज़ालिम क्यों ना हो वह बातिल वक़्त का हाकिम ही क्यों ना हो अगर वह तुम्हारे दीन को नुक़सान पहुंचा रहा है और उस वक़्त तुन्हें इसलाम की बक़ा के लिए भाई भतीजा बेटा और नन्हे नन्हे बच्चों की भी क़ुरबानी देनी पड़े तो दे देना मगर बातिल आगे झुक कर अपने रसूल के दीन को नुकसान नही पहुंचाना हुसैन के करबला की ज़मीन इस बात की गवाही देती है कि हुसैन के 72 जां निसारों के मक़ाबिल यज़ीद 22000 का लश्कर लेकर आया था। और बाइस हज़ार से 72 का मक़ाबला था। मगर हुसैन झुके नही हुसैन पाक ने अपने नाना के दीन को बचाने के लिए सर को कटा लिया मगर हाथ नही दिया इसी लिए कहा है कि यज़ीद मोर्चा तो जीता था जंग नही क्योंकि 72 से 22000 का कोई मक़ाबला नही आज पूरी दुनिया मे हुसैन के नाम पर क़ुरबान होने के लिए एक एक मुसलमान तैयार नज़र आता है अल्लाह तबारक तआला हज़रते हुसैन के फैज़ान से हम को मालामाल फ़रमाए।