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महिलाओं के लिए लालगंज की मीना बनी एक आदर्श

लालगंज। मीना गाँव में घर घर जाकर गर्भवती महिलाओं,धात्री महिलाओं, उनके परिवार के सदस्यों विशेषकर सास व पतियों को मातृ स्वास्थ्य, नवजात स्वास्थ्य व बाल स्वास्थ्य पर जागरूक करती हैं | उन्हें इस बारे राजीव गांधी महिला विकास परियोजना(आरजीएमवीपी) द्वारा प्रशिक्षण दिया गया है | उनके क्षेत्र में अधिकतर महिलाएं गर्भवस्था में जाँचें कराती हैं, टिटेनस के टीके लगवाती हैं, अस्पताल में प्रसव कराती हैं, उन्हें यह पता है कि गर्भावस्था में पौष्टिक आहार के सेवन से जच्चा व बच्चा दोनों ही स्वस्थ रहते हैं| मीना बताती हैं कि एक विशेष समुदाय के कुछ लोग बच्चों को टीका नहीं लगवाते थे, वे कुछ महिलाओं के साथ वहाँ गईं और परिवार के सदस्यों को समझाया तथा उन्हें बताया कि उन्होने स्वयं व अन्य महिलाओं ने अपने बच्चों को टीका लगवाया है तथा किसी को कोई भी दिक्कत नहीं हुयी बल्कि वह जानलेवा बीमारियों से बच गया है | तब उस समुदाय विशेष ने अपने बच्चों को टीका लगवाया |
मीना, रायबरेली जिले के विकासखंड लालगंज के जगतपुर ग्राम पंचायत की रहने वाली हैं और स्नातक उत्तीर्ण हैं और राजीव गांधी महिला विकास परियोजना से पिछले लगभग 3 वर्षों से जुड़ी हैं | मीना बताती हैं कि इंटर पास करने के बाद ही उनके परिवारवालों ने उनका विवाह कर दिया था | विवाह के पश्चात उन्हें पता चला कि उनके पति हृदय रोग से पीड़ित हैं और उनकी बहुत आयु अधिक नहीं है | परिवार के सहयोग से उन्होने स्नातक पास किया और छोटे से स्कूल में पढ़ाने लगीं कुछ समय बाद ही उनके पति की मृत्यु हो गयी और परिवारवालों ने उनकी नौकरी भी छुड़वा दी | वे परिवारवालों के सहारे पर रहीं | उनके तीन बच्चे हैं | उनका मायका लालगंज विकास खंड के जगतपुर और ससुराल शंकरपुरा विकासखंड, ऊंचाहार में है | उनकी माँ, जय माँ अंबे स्वयं सहायता समूह की सदस्य थीं, उनकी मृत्यु के बाद उनके स्थान पर, वे समूह से जुड़ गईं | उनको समूह से जुड़े हुये लगभग 3 वर्ष हो गए हैं |
समूह से जुड़ने के बाद उन्होने समूह की गतिविधियों में भाग लेना शुरू किया | उन्होने आरजीएमवीपी के पदाधिकारी से अपने परिवार के बारे में बताया तथा कहा कि वे समुदाय के लिए कुछ करना चाहती हैं | उन्हें ऐसा कोई काम मिल जाये ताकि उनके परिवार को भी कुछ लाभ हो और वे समुदाय के साथ भी जुड़ी रहें | पदाधिकारी ने बताया कि लालगंज विकासखंड में सामुदायिक संसाधन विकास संस्थान (सीआरडीआई) के पद पर काम कर सकती हैं लेकिन यह उसके ससुराल से लगभग 40 किमी व मायके से 60 किमी है और उसे माह के 20 दिन नियमित रूप से ब्लॉक पर आना होगा और 40 ग्राम पंचायतों में भ्रमण कर महिलाओं व उनके परिवारवालों को विशेषतया पति व सास को मातृ व बाल स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देनी होगी और इसके एवज में उसे 6000 रुपए प्रति माह मिलेंगे | वे नियमित रूप से ससुराल जगतपुर से ब्लॉक पर बस या अन्य पब्लिक ट्रांसपोर्ट से आती हैं | अब उसके ससुराल वाले उसका पूरा सहयोग करते हैं | उसके बच्चों का पूरा ख्याल रखते हैं | वे बहुत खुश हैं कि वे अपने समुदाय से जुड़ी हुयी हैं और लोग उन्हें पहचानते हैं |
मींना कहती हैं कि राजीव गांधी महिला विकास परियोजना ने उनका जीवन ही बदल दिया है | जहां वे पैसे के लिए अपने परिवार के सदस्यों पर निर्भर थीं वहीं आज वे खुद अपने पैरों पर खड़ी हैं, परिवार में भी उनको सम्मान की नज़रों से देखा जाता है तथा समुदाय में उनकी अपनी एक पहचान है |

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